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Success story of Farmer Saleemuddin

संक्षिप्त विवरण

श्री सलीम उद्दीन उर्फ वजीह उद्दीन पिता का नाम स्व0 श्री रशीद उद्दीन, ग्राम चक बरारी उर्फ बिलन्दा विकास खण्ड तेलियानी जनपद फतेहपुर ,पिता जी कृषक एवं पूर्व जमीदार थे जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि था। कृषि से ही हम भाई, बहनों का पालन पोषण होता था। आर्थिक स्थिति पिता जी पर आश्रित थे इसलिये समय-समय पर उनसे ही खर्च के पैसे लिये जाते थे। स्वयं के पास कोई ऐसा व्यापार नही था जिससे खर्च अच्छी तरह से चल सके।बाग आम, अमरूद, नींबू एवं आंवला की बाग है इसके अतिरिक्त आंशिक रूप से सन्तरा, किन्नों, कमरख, Saleemuddin..मुसम्मी, ग्रेपफ्रूट, शरीफा, लीची, कटहल, बड़हल, खजूर, जामुन, बेर, बेल, करौदा, कमरख, केला, अनार, पपीता, अम्बार, सेब, नासपाती, चीकू, आड़ू, अन्जीर, बादाम, माल्टा आदि के पौधे हैं। खेती की ओर रूझान पिता जी द्वारा पारम्परिक खेती अधिक एवं बागवानी कम की जाती थी जिससे आय परिवार के भरण-पोषण के लिये ही हो पाती थी ऐसी स्थिति में मेरा रूझान बागवानी एवं औद्यानिक फसलों को करने हेतु विचार आया जिसके लिये मैने जनपद के उद्यान विभाग के अधिकारियों एवं अन्य कृषि वैज्ञानिकों, अनुसंधान केन्द्रों से सम्पर्क किया। तत्पश्चात उनकी सलाह पर मैने बागवानी, औद्यानिक फसलों को अपना मुख्य व्यवसाय बना लिया। आय सामान्यतः कृषि फसलों से एक से डेढ़ लाख रूपये के मध्य ही प्राप्त होता है जब कि बाग एवं औद्यानिक फसलों में तीन से चार लाख रूपये के मध्य प्राप्त होता है। पुरूस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रादेशिक फल एवं शाकभाजी पुष्प प्रदर्शनी राजभवन लखनऊ में सन् 2005, 2006, 2008, 2009, 2010, 2011 में फलों के उत्कृष्ट प्रदर्श में सर्वाधिक अंक प्राप्त करके डा0 एस0एस0 भटनागर रनिंग ट्राफी (शील्ड) एवं नगद धनराशि महा महिम राज्यपाल उ0प्र0 लखनऊ के कर कमलों द्वारा। Salemuddinप्रादेशिक फल एवं शाकभाजी पुष्प प्रदर्शनी राजभवन लखनऊ में क्रमशः सन् 2013, 2014 में फलों के उत्कृष्ट प्रदर्श में सर्वाधिक अंक प्राप्त करके डा0 एस0एस0 भटनागर रनिंग ट्राफी (शील्ड) एवं नगद धनराशि कृषि उत्पादन आयुक्त उ0प्र0 लखनऊ एवं मुख्य सचिव उ0प्र0 के कर कमलों द्वारा। सन् 2009 में हाईब्रिड सब्जी के उत्कृष्ट प्रदर्श में सार्वधिक अंक प्राप्त होने पर महा महिम राज्यपाल उ0प्र0 द्वारा चल बैजन्ती शील्ड प्रदान की गयी। सन् 2016, 2017 को उ0प्र0 आम महोत्सव का अयोजन जनेश्वर मिश्र पार्क लखनऊ में हुआ जिसमें मुझे रामकेलाा आम की प्रजाति को प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त होने पर प्रमुख सचिव उद्यान द्वारा प्रमाण पत्र एवं शील्ड देकर पुरस्कृत किया गया। मण्डलीय फल शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी इलाहाबाद में सन् 2003 से सन् 2017 तक लगातार फल एवं शाकभाजी के उत्कृष्ट प्रदर्शो में शील्ड एवं नगद पुरस्कार आदि प्राप्त हुआ। जनपद स्तर पर किसान सम्मान समारोह के अतिरिक्त कृषि एवं औद्यानिक गोष्ठियों/मेलों में माननीय मंत्रीगण, विधायक एवं जनपद में कार्यरत कई जिलाधिकारियों द्वारा पुरस्कार प्राप्त हुआ। औद्यानिक फसलों में उत्पादन में सराहनीय कार्य, पर्यावरण, गोष्ठी आदि में सहयोग बागवानी में उत्कृष्ट कार्य जल संरक्षण, गोबर गैस प्लाण्ट से सैलरी उत्पादन, जैविक खेती, गमलों में सब्जी की खेती आदि उत्कृष्ट कार्य हेतु जिलाधिकारी एवं अन्य अधिकारियों द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं अन्य पुरस्कार।

पद

प्रदेश के विभिन्न विभागों द्वारा निम्न अवैतनिक पद पर नियुक्ति की गयी।
1. सदस्य वैज्ञानिक सलाहकार समिति कृषि विज्ञान केन्द्र थरियांव
2. अध्यक्ष किसान औद्यानिक विकास समूह बिलन्दा
3. सदस्य कृषि तकनीकी प्रबन्ध अभिकरण (आत्मा योजना)
4. पूर्व अध्यक्ष बरारी किसान सेवा सहकारी समिति बरारी लिमिटेड
5. पूर्व संयोजक कृषक चर्चा मण्डल ग्राम विकास विभाग बिलन्दा
6. अध्यक्ष विधिक सेवा प्राधिकरण परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्र बिलन्दा फतेहपुर।

मुख्यालय से दूरी

फतेहपुर शहर से प्रयागराज मार्ग पर लगा हुआ लगभग 10 किमी0 दूरी पर ग्राम चक बरारी स्थित है

कृषक का मुख्य व्ययसाय

कृषक द्वारा मुख्य रूप से बागवानी एवं औद्यानिक फसलों की खेती के अतिरिक्त आंशिक रूप से गेंहूॅ, धान आदि की फसलें की जाती है।

भूमि

3.0 है0 स्वयं की एवं 30 है0 भाइयों एवं पारिवारिक

उपकरण

टैक्टर एवं टैक्टर ट्राली, सिकेटियर, प्रूनर, दवा छिड़कने की मशीन, पम्पसेट, कल्टीवेटर, हसिया, हेजकटर, कुदाल, खुर्पी, फावड़ा आदि

कृषकों को सलाह

कृषकों को कृषक समूह बनाकर अपने उत्पादों को भण्डारित कर बेंचने की रणनीत बनाना चाहिये।
कृषकों के उत्पादित वस्तुओं को बेंचने हेतु कम दूरी वाले स्थानों को चयन करना चाहिये।
कृषकों को आय दोगुनी करने के लिये बागों में आकर्षित एवं स्वादयुक्त पौधे लगाने के साथ समय-समय पर वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील कृषकों के सलाह के अनुसार कार्य करते रहना चाहिये।
कच्ची वस्तुये फल एवं सब्जी को संरक्षित कर उनके विभिन्न रूप देकर स्थानीय बाजार एवं अन्य बाजारों में बंचना चाहिये।
कृषकों को अधिक से अधिक नाडेप बनाकर उसकी जैविक खाद तैयार होने के उपरान्त उसको प्रयोग में लाना चाहिये।