Close

जिला कृषि कार्यक्रम

कृषि कार्यक्रमों का विवरण

जनपद का कुल प्रतिवेदित क्षेत्र 4,22,126 हे0 है,जिसमे 2,88,738 हे0 क्षेत्रफल कृशि योग्य है। खरीफ के अन्तर्गत 1,42,435 हे0 क्षेत्रफल में विभिन्न फसलों की खेती की जाती है, इसमे लगभग 60 प्रतिषत धान की खेती होती है,षेश क्षेत्र में दलहन,तिलहन,ज्वार,बाजरा एवं मक्का की खेती की जाती है। रबी के अन्तर्गत 2,48,103 हे0 क्षेत्रफल में विभिन्न फसलों की खेती की जाती है,इसमे लगभग 76 प्रतिषत क्षे0 में गेहॅू की खेती होती है,षेश क्षेत्र में दलहन,तिलहन एवं जौ की खेती की जाती है।
पारदर्षी किसान सेवा योजना-कृशि विभाग की समस्त योजनाओं में कृशकों को अनुदान डी0बी0टी0 के माध्यम से कृशकों के खातों में भेजा जाता है। योजनाओं का लाभ प्राप्त करने हेतु कृशक को कृशि विभाग की वेबसाइट ण्नचंहतपबनसजनतमण्बवउ में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। पंजीकरण हेतु बैंक पास बुक की प्रथम पृश्ठ की फोटो कापी,खतौनी एवं आधार कार्ड की फोटो कापी कृशि विभाग में जमा करने या किसी भी साइबर कैफे से पंजीकरण कराया जा सकता है। पंजीकरण के उपरान्त प्रथम आवक प्रथम पावक के आधार पर अनुदान दिया जाता है। चयन की सूचना डै के माध्यम से कृशको को दी जाती है।
वर्मी कम्पोस्ट-भूमि की उर्वराषक्ति बढ़ाने के लिये यह सबसे उत्तम क्वालिटी की कम्पोस्ट खाद है। वर्मी कम्पोस्ट की प्रत्येक राजस्व ग्राम में एक इकाई बनाने की योजना चल रही है। जिसमें किसान को 7ग्3ग्1 फिट आकार का वर्मी कम्पोस्ट इकाई निर्मित करनी है जिसकी लागत लगभग रू0 8000 है जिस पर 75 प्रतिषत अनुदान की धनराषि रू0 6000 किसान के खाते में डी0बी0टी0 के माध्यम से भेजी जाती है।
सोलर फोटोवोल्टेइक पम्प सेट-फसलो की सिंचाई के लिये सूर्य की ऊर्जा से चलने वाला पम्प सेट 2 एच0पी, 3 एच0पी, 5 एच0पी क्षमता के कृशको की आवष्यकता पर उपलब्ध कराए जाते है। 2 एच0पी 22 फीट, 3 एच0पी 150 फीट तथा 5 एच0पी 200 फीट गहराई तक पानी उठाता है। कृशको के द्वारा स्वयं की 6“ व्यास की बोरिंग चालू हालत में होनी चाहिये। 2 एच0पी हेतु रू0 50820, 3 एच0पी हेतु रू0 80977 व 5 एच0पी हेतु रू0 200520 का बैंक ड्राफ्ट कृशक को जमा करना होता है। कृशक अषं की दरे प्रत्येक वर्श परिवर्तनीय है।
राश्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिषन दलहन-इस योजना के अन्तर्गत दलहनी फसलो के बीजो पर अनुदान डी0बी0टी0 के माध्यम से दिया जाता है। इसके अतिरिक्त जिंक सल्फेट,माइक्रोन्यूट्रियेन्ट,कृशि यंत्र, एच0डी0पी0ई0 लपेटा पाइप,पंप सेट भी अनुदान पर कृशको को दिए जाते है।
प्रषिक्षित कृशि उद्यमी स्वावलम्बन योजना-(एग्रीजंक्षन केन्द्र की स्थापना) कृशि में प्रषिक्षित युवाओं की सेवाओं का उपयोग कृशक हित में करने के उद्देष्य से उत्तर प्रदेष सरकार द्वारा कार्यक्रम एग्रीजंक्षन (प्रषिक्षित कृशि उद्यमी स्वावलम्बन) योजना संचालित है। कार्यक्रम का उद्देष्य किसानों को उनके फसल उत्पादों के लिए कृशि केन्द्र( एग्री जंक्षन) के बैनर तले समस्त सुविधायें“वन स्टाप षाॅप” के माध्यम से कृशि स्नातकों द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा। साथ ही बेरोजगार कृशि स्नातकों को रोजगार का अवसर प्राप्त हो सकेगा। योजनान्तर्गत बीज,उर्वरक,कीटनाषी रसायनों के लिये निःषुल्क लाइसेन्स उपलब्ध कराया जाता है।
1-एग्रीजंक्षन हेतु पात्रता-उत्तर प्रदेष में निवास करने वाले कृशि/कृशि व्यवसाय प्रबन्धन स्नातक/स्नातक जो कृशि एवं सम्बद्ध विशयों यथा-उद्यान, पशुपालन, वानिकी, दुग्ध, पशुचिकित्सा,मुर्गी पालन एवं इसी तहर की गतिविधियां जो किसी राज्य/केन्द्रीय विष्वविद्यालय या किसी अन्य विष्वविद्यालयों जो आई0सी0ए0आर0/यू0जी0सी0 द्वारा मान्यता हों,पात्र होंगे। इसके अतिरिक्त अनुभव प्राप्त डिप्लोमाधारी/कृशि विशय में इन्टरमीडिएट योग्य प्रार्थी पर विचार किया जायेगा।
2-आयु-40 वर्श से अनधिक, अनुसूचित जाति/जनजाति/महिलाओं को 05 वर्श की छूट अधिकतम्। पात्र अभ्यर्थियों में जिनकी जन्मतिथि पहले है, उन्हे वरीयता दी जायेगी।
3- योजना लागत-रू0 4.00 लाख (अधिकतम्)
4- ऋण सीमा- -रू0 3.50 लााख
5- प्रतिपूर्ति राषि–रू0 0.50 लाख (प्रोजेक्ट लागत का 12.50 प्रतिषत) ऋणी आवेदक द्वारा अभिदान किया जायेगा।

इन सीटू क्राप रेज्ड्यू मैनेजमेन्ट योजना-किसी भी फसल के अवषेश को खेत में जलायें नहीं बल्कि मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि हेतु पादप अवषेशों को मृदा में मिलावें/सड़ावें। प्रदेष में अधिकांष कृशक लघु एवं सीमान्त हैं, साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि अधिक लागत के इन सीटू क्राप रेज्ड्यू मैनेजमेन्ट हेतु उपयोगी आधुनिक कृशि यन्त्रों जैसे-सुपर सट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम, हैप्पी सीडर, पैडी स्ट्राचापर/षेडर/मल्चर, सब मास्टर/कटर कम स्प्रडर, रिवर्सेबुल एम0बी0प्लाऊ रोटरी स्लैषर,जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल तथा रोटावेटर क्रय कर सकें। योजनान्तर्गत कृशकों को इम्पैनल्ड कम्पनियों से यन्त्र क्रय करने पर क्रय मूल्य का अधिकतम 50 प्रतिषत तक अथवा अनुदान की अधिकतम अनुमन्य सीमा दोनों में से जो कम हो देय होगा।