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किसान रणेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धुनी सिंह की सफलता की कहानी

संक्षिप्त विवरण

श्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी सिंह पिता श्री ब्रजेश चन्द्र सिंह ग्राम ओरम्हा विकास खण्ड ऐरायां फतेहपुर

मुख्यालय से दूरी

फतेहपुर शहर से लगभग 42 किमी0 दूरी पर खागा बाइपास से नौबस्ता चौराहा रोड पर ओरम्हा स्थित है

कृषक का मुख्य व्ययसाय

कृषक द्वारा मुख्य रूप से गेंहू] धान की जैविक खेती के अतिरिक्त आंशिक रूप से बागवानी एवं पशुपालन आदि की जाती है।

उपकरण

टैªक्टर एवं टैªक्टर ट्राली] सिकेटियर, प्रूनर] दवा छिड़कने की मशीन]पम्पसेट, कल्टीवेटर,रोटावेटर, हेजकटर, कुदाल,पैडी स्ट्राचापर, रिवर्सेबुल एम0बी0प्लाऊ, जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल आदि

खेती की ओर रूझान

देशी गाय की गोबर एवं गोमूत्र द्वारा जीवामृत बनाकर एवं वर्मी कम्पोस्ट डाल कर जैविक खेती धान कालानमक एवं गेहॅू,आलू की खेती।

कृषक द्वारा धान की जैविक खेती करने का तरीका

धान

– फसल का नाम -धान
– प्रजाति -काला नमक
– क्षेत्रफल -20 बीघा(3.2 हे0)
– बीज की मात्रा -60 कि0ग्रा0
– बुवाई का समय -15 जून 2018
– रोपाई -15 से 25 जुलाई 2018
– खेत की तैयारी- गर्मी में ढैचा की फसल हरी खाद हेतु बोयी गयी ।
– खेत की जुताई के समय वर्मी कम्पोस्ट 45 कु0 प्रति एकड़ की दर से खेत में मिलाया गया।
– बीज को ट्राइकोडर्मा से शोधित किया गया जिससे फफॅूदी जनित बीमारी न लगे।
– देशी गाय के गोमूत्र से जीवामृत तैयार कर तीन छिड़काव किए गए। जीवामृत का पहला छिड़काव रोपाई के 20 दिन पर,दूसरा 30 दिन पर तथा तीसरा छिड़काव रोपाई के 50 दिन पर किया गया।
– फसल में हानिकारक कीटों से बचाव हेतु पुष्पावस्था से लाइट ट्रैप खेतों मे लगवाए गए जिससे कि सारे हानिकारक कीट इसी मे एकत्र हो जाते थे जिन्हे नष्ट कर दिया जाता था।
– खरपतवार नियंत्रण-खुरपी के द्वारा निराई,गुड़ाई।
– सिंचाई- 5 सिंचाई की गई।
– उत्पादन-औसत उत्पादन 36.36 कु0 प्रति हेक्टेयर प्राप्त हुई।
– फसल कटाई के बाद-खेतों में फसल अवशेष (पराली) की पैडी स्ट्रा चापर यंत्र के द्वारा खेतो में मिलवा दिया गया जिससे कि मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़े।
– मृदा स्वास्थ्य पर प्रभाव-जीवांश कार्बन की मात्रा 0.21 प्रतिशत से बढ़कर 0.68 प्रतिशत एवं मृदा में सूक्ष्म तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि हुई। जैविक खेती की विधियां अपनाने से मृदा स्वास्थ्य में निम्न परिवर्तन/बढ़ोत्तरी हुई।

उत्पादन एंव लाभ

जैविक पद्धति द्वारा उत्पादित काला नमक धान फसल उत्पादन पर कुल रू0 9200 प्रति एकड़ का खर्च आया।एक एकड़ मे औसत 14.66 कु0 उत्पादन प्राप्त हुआ वर्तमान मे रू0 4500 प्रति कु0 रेट क्रेताओ के द्वारा लगाया जा रहा है।इस प्रकार रू0 66000 प्रति एकड़ का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ।

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परिणाम

काला नमक धान का जैविक परीक्षण-जैविक विधि से उत्पादित धान का परीक्षण करने पर सभी 261 केमिकल पेस्टीसाइड की मात्रा जैविक उत्पाद हेतु निर्धारित सीमा से कम पायी गयी एवं धान पूर्ण रूप से जैविक खेती के अन्तर्गत पाया गया।